बचपन का जमाना होता था, खुशिओं का खजाना होता था, चाहत चाँद को पाने की, दिल तितली सा दीवाना होता था, खबर न थी कुछ सुबह की, ना शामों का ठिकाना होता था, थक-हार कर आना स्कूल से, पर खेलने भी जाना होता था, दादी की कहानी होती थी, परियों का फ़साना होता था, बारिश में कागद की कश्ती होती थी, ना जख्मों का पैमाना होता था, रोने की वज़ह ना होती थी, ना हंसने का बहाना होता था, अब नहीं रही वो ज़िन्दगी, बचपन का ज़माना होता था.