
दिल अधूरी सी कहानियों का अंत ढूंढता रहा,
और वो कोरा पन्ना मुझे देर तक घूरता रहा.

जिन्दगी की हकीकत को बस हमने जाना है,
दर्द में अकेले है और खुशियों में सारा जमाना है.

दर्द बन कर दिल में छुपा कौन है,
रह रह कर इसमें चुभता कौन है,
एक तरफ दिल है और एक तरफ आइना,
देखते है इस बार पहले टूटता कौन है.

ज़ाहिर हो जाए वो दर्द कैसा,
खामोशी ना समझ पाए वो हमदर्द कैसा।

दिल परेशान रहता है उनके लिए,
हम कुछ भी नहीं है जिनके लिए.

जिस नसीब में हो जमाने भर की ठोकर,
उस बदनसीब से शायरों की बात न कर.

















