हाथों की लकीरें अधूरी हो तो किस्मत अच्छी नहीं होती, हम कहते हैं की सर पर हाथ महादेव का हो,...
यह कलयुग हैं, यहाँ ताज अच्छाई को नही बुराई को मिलता हैं, लेकिन हम तो बाबा महाकाल के दीवाने हैं,...
मैं कल नहीं मैं काल हूँ, वैकुण्ठ या पाताल नहीं, मैं मोक्ष का भी सार हूँ, मैं पवित्र रोष हूँ,...
किसी ने कहा लोहा हैं हम, किसी ने कहा फौलाद हैं हम, वहां भाग दौड मच गई, जब हमने कहा...
यह कह कर मेरे दुश्मन मुझे छोड़ गए की, ये तो महाकाल का भक्त हैं, पंगा लिया तो महादेव नंगा...
जब इस दुनिया से मेरी विदाई तो इतनी मोहलत मेरी सांसो को देना एक बार और महाकाल कह लेने देना।
हमें ढूंढना इतना मुश्किल नहीं है मेरे दोस्त, बस जिस महेफिल में महाकाल की आवाज गूंज रही हो वहा चले...
काल भी तुम महाकाल भी तुम, लोक भी तुम त्रिलोक भी तुम, सत्यम भी तुम और सत्य भी तुम।
माथे का तिलक कभी हटेगा नही, और जब तक जिन्दा हूँ, तब तक महाकाल का नाम मुँह से मिटेगा नही।
शिव अनादि हैं, अनन्त हैं, विश्वविधाता हैं, जो जन्म मृत्यू एवं काल के बंधनो से अलिप्त स्वयं महाकाल हैं।