40+ Rip Sad Shayari
अटल है इक दिन हर कोई दुनियाँ को छोड़कर जाएगा यह मानव शरीर भी नश्वर, पर यूँ असमय किसी का जाना अन्याय सा लगता है ईश्वर ।। निःशब्द हूँ… फिर न कभी भी लौट कर आने वाले, यूँ अपनों को छोड़कर जाने वाले। सुख और दुःख शब्दों से नहीं व्यक्त होते है, यह दोनों भाव और भावना से व्यक्त होते है. शब्द नहीं कुछ कहने को कहाँ गए तुम रहने को भारी पीड़ा दिल में लेकर अब दुख ही है बस सहने को ।। जिम्मेदारी का बोझा हर प्राणी को ढ़ोना पड़ता है ऊपर बैठा मालिक जिसे बुलाये हाज़िर होना पड़ता है ।। वेदप्रकाश वेदांत धरती से इक
अटल है इक दिन हर कोई
दुनियाँ को छोड़कर जाएगा
यह मानव शरीर भी नश्वर,
पर यूँ असमय किसी का जाना
अन्याय सा लगता है ईश्वर ।।
निःशब्द हूँ…
फिर न कभी भी लौट कर आने वाले,
यूँ अपनों को छोड़कर जाने वाले।
सुख और दुःख शब्दों से नहीं व्यक्त होते है,
यह दोनों भाव और भावना से व्यक्त होते है.
शब्द नहीं कुछ कहने को
कहाँ गए तुम रहने को
भारी पीड़ा दिल में लेकर
अब दुख ही है बस सहने को ।।
जिम्मेदारी का बोझा
हर प्राणी को ढ़ोना पड़ता है
ऊपर बैठा मालिक जिसे बुलाये
हाज़िर होना पड़ता है ।।
वेदप्रकाश वेदांत
धरती से इक गया है तारा
उसे प्रकाशित करते रहना
स्वर्ग बख़्सना उस तारे को
प्रभु पीड़ा उसकी हरते रहना
शाम ढले जब रैन चढ़े
सबको घर आना पड़ता है
जिसके नाम की स्वर्ग से
चिट्ठी आयी उसको
असमय जाना पड़ता है ।
जिनके जाने से सारे दुनिया रोती है, ऐसे लोगो में कर्म की महानता होती है
जीवन की इस यात्रा में मृत्यु आखिरी मंजिल है,
फिर क्यों शोक, दुःख, आँसू से भरा मेरा दिल है.