मुझमे अकंड़ नहीं हैं, अगर आपको लगती हैं तो लगने दो
क्युकी में गुज्जर हूँ, इतना तो स्वाभिमानी हूँ।
हिम्मत की बात मत कर पगली,
हम गुर्जर तो सेल्फी में भी शेर ही दिखते हैं।
गुर्जर के पूत, खा पी के मजबूत।
छुपी गुज्जरों की सच्चाई बस गुज्जरों के इतिहास में
मिट गए खुद मिटाने वाले, हमें मिटाने के प्रयास में।
जिस काम पे सरकारी बैन हैं,
गुर्जर उसी काम का बड़ा फैन हैं।
इस तरह होगा हमारा नाम, सब कहेगें गुर्जरी राम-राम।
गुर्जरो के गांवों में आतंक इसलिए भी कम होता हैं,
क्योंकि वहाँ दरवाजा नही, लट्ठ मजबूत होता हैं ।।
क्यों ना घमंड करू गुर्जर होने पर,
36 जातियो में अकेली जाती हैं जिसके आगे वीर लगाया जाता हैं।।
यू ही यह उबाल नहीं तेज भौम की स्तुति का,
नशे सारे किए मगर नशा अलग हैं गुज्जरों का।